सात कारण :-
1. अनावश्यक चिंता करना या तनाव पालना : चिंता या तनाव तो सभी को रहना है परंतु कुछ लोग जरूरत से ज्यादा ही भयभीत होकर चिंताग्रस्त हो जाते हैं।
3. लगातर कुछ न कुछ सोचते रहना : जैसे कई लोगों को अत्यधिक बोलने की आदत रहती है। उसी तरह कई लोग हैं जो लगातार मन में कुछ न कुछ सोचते ही रहते हैं। उनका सोचना रात में भी जारी रहता है।
4. शरीर का नहीं थकना : एक मजूदर या मेहनतकश का शरीर जब थक जाता है तो उसे स्वत: ही राज में नींद आ जाती है। कई लोगों की जिंदगी आराम की होती है। उनका शरीर जरा भी नहीं थकता है।
5. अनियमित जीवन शैली : आधुनिक मनुष्य का न तो खाने का निश्चित समय रहा और न ही सोने का। देर रात तक जागना और देर सुबह तक सोना। व्यक्ति की प्राकृतिक नींद और जागरण समाप्त हो गया है। दूसरी ओर बहुत से लोगों की दिन में 3 से 4 घंटे सोने की आदत होती है। ऐसे में रात की नींद कोटा पूरा हो जाता है। खानपान भी बदला है जिसके चलते भी नींद में अंतर आया है।
6. शारीरिक दर्द : कुछ लोगों को शरीर के किसी हिस्से में दर्द रहता है। जैसे जोड़ों का दर्द, सर्वाइकल का दर्द या किसी भी प्राकर का कोई रोग हैं तो भी नींद नहीं आती है।
7.वास्तुदोष :यदि मकान वास्तु अनुसार नहीं है या कोई वास्तुदोष है तो भी नींद नहीं आती है। ऐसे में वास्तु जांच कराएं।
पांच उपाय :
1. भोजन में बदलाव : उचित समय पर खाना और उत्तम खाने को ही अपनी जीवनशैली का अंग बनाएं
2. टहलना : कहते हैं कि दिन का भोजन करने के बाद कुछ देर तक आराम करें लेकिन रात का भोजन करने के बाद कुछ देर तक टहलना जरूरी है।
3. सूर्य मस्कार : शरीर को थकाने के लिए या तो आप सोने से पूर्व एक घंटे कसरत करें, पैदल चलें या फिर मात्र 15 मिनट का सूर्य नम्सकार करें। सूर्य नमस्कार की 12 स्टेप होती है। इन स्टेप को आप कम से कम 12 बार दोहराएं।
4. प्राणायाम : प्रतिदिन रात को सोने से पूर्व 5 से 10 मिनट का प्राणायाम करें।
5. योग निद्रा : इसके लिए शवासन में लेटकर अपने शरीर व मन-मस्तिष्क को शिथिल कर दीजिए। सिर से पांव तक पूरे शरीर को शिथिल कर दीजिए। पूरी सांस लेना व छोड़ना है। अब कल्पना करें आप के हाथ, पांव, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं। अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनावरहित होने का निर्देश दें। अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पांव की सभी अंगुलियां कम से कम पांव का तलवा, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है। इसी तरह बायां पैर भी शिथिल करें। सहज सांस लें व छोड़ें। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा। यह अभ्यास प्रतिदिन करें। इससे मन थककर सो जाएगा और कोई किसी भी प्रकार का विचार नहीं करेगा।
हिदायत :
1. दक्षिण दिशा में पैर करके ना सोएं।
2. तामसिक भोजन ना करें रात में हल्का भोजन ही करें।
3. दिन या दोहपहर में सोना छोड़ दें।
4. किसी भी प्रकार का नशा या दवाई का सेवन ना करें।
5. सोने से पूर्व अपनी चिंताओं और चिंतन को ताक में रखकर सोएं, क्योंकि जितना महत्वूर्ण भोजन, पानी और श्वांस लेना है उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण नींद लेना है।
6. रात में देर तक जागना और सुबह देर से उठना छोड़ दें। नींद का टाइमिंग बिगड़ने से नींद की कमी हो जाती है।