स्वामी डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज बायोग्राफी | Dr. Umakantanand saraswati Ji Maharaj

स्वामी डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज (महामण्डलेश्वर जूना अखाड़ा) संस्थापक: डिवाईन इंटरनेशनल चेरिटेबल ट्रस्ट- हरिद्वार शाश्वतभ फॉउण्डेशन- रिपब्लिक ऑफ़ मोरीशयस

Nov 24, 2021 - 13:56
 1514
स्वामी डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज बायोग्राफी | Dr. Umakantanand saraswati Ji Maharaj

जीवन परिचय

स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी विख्यात और एक प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु है। स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती जी का जन्म एक छोटे से कसबे में हुआ। स्वामी उमाकांतानंद जी ने बाल अवस्था में ही खेलना-कूदना छोड़कर भगवान के प्रति तपस्या करना आरम्भ कर दिया। बचपन से ही लोगों के दुःख को देखकर स्वामी उमाकांतानंद जी को कष्ट होता है और पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम रहता है। 

स्वामी जी को 12 वर्ष की आयु में ही गुरु की प्राप्ति हुई। इसके उपरान्त उन्होंने आध्यात्मिक गुणों के रहस्य को जाने के लिए 16 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़ दिया। स्वामी जी ने घर छोड़ने के बाद बड़ी तपस्या की और "आत्म साक्षर" के लक्ष्य को प्राप्त किया।

स्वामी उमाकांतानंद जी को जन्म से ही दैविक कृपा से समस्त गुण ज्ञान प्राप्त था परन्तु मित्रों के आग्रह पर उन्होंने संगीत प्रभाकर किया और साथ ही आर्युवेद रत्न की उपाधि ली। स्वामी जी ने दर्शनशास्त्र और हस्तरेखा शास्त्र में बी.ए. किया, तत्पश्चात प्राचीन भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरतत्व में एम.ए. किया और एम.ए. की डिग्री गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय, हरद्वार से प्राप्त की। इसी विश्वविद्यालय से स्वामी जी ने प्राचीन भारतीय योग परम्परा विषय में पी.एच.डी. की।

आईआईटी और बीआईटी जैसे शिक्षण संस्थानों एवं देश के विभिन्न विद्यालयों अथवा रोटरी क्लब और लायंस क्लब जैसे संस्थानों में टाइम मैनेजमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, हीलिंग, मैडिटेशन आदि विषयों पर स्वामी उमाकांतानंद जी ने व्याख्यान दिए है। स्वामी जी ने अबतक लगभग दो दर्जन से अधिक जेलों में कैदीयों के बीच प्रवचन दिया। स्वामी जी के प्रवचन का इतना अधिक प्रभाव रहा कि आजतक सैकड़ों कैदियों का हृदय परिवर्तित हो गया है।

स्वामी उमाकांतानंद जी बचपन से ही देश-विदेश में उपदेश देते रहे हैं। इनके विषय जैसे- रामायण, गीता, भागवत, वेद, उपनिषद और भारतीय संस्कृति के शाश्वत पहलुओं पर आधारित होते है। 

बीस सालों तक देश-विदेश में अपने उपदेश देने के बाद स्वामी उमाकांतानंद जी दशनामी संन्यास परम्परा के जूनागढ़अखाड़ा से जुड़ गए। कुछ समय बाद जूनागढ़अखाड़े के संतों ने स्वामी उमाकांतानंद जी को महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया। स्वामी उमाकांतानंद जी अध्यात्मक और आधुनिक विज्ञान के जीते जागते मिश्रण है।

स्वामी जी ने 40 से अधिक देशों जैसे यूएसए, कनाडा, इंग्लैंड, आयरलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस आदि में भारतीय आध्यात्मिक व्याख्यान दिये है कई देशों के राष्ट्र अध्यक्ष स्वामी जी का आशीष पाकर अपने आप को धन्य मानते है।

स्वामी उमाकांतानंद जी आम लोगों को "मोटिवेशनल लेक्चर एवं श्री राम कथा और श्री भागवत कथा" के माध्यम से आत्मतत्व का ज्ञान कराते हुए व्यवहारिक जीवन जीने की कला सीखा रहे है और वहीं दूसरी ओर योग आसन, प्रणायाम एवं ध्यान के माध्यम से स्वस्थ शरीर भी बना रहे है। इसके साथ स्वामी जी राष्ट्र निर्माण एवं आत्म कल्याण के साथ-साथ लोक कल्याण करते हुए परमात्मा प्राप्ति कैसे हो इसका मार्ग भी प्रशस्त करा रहे है।  

स्वामी उमाकांतानंद जी ने स्वस्थ शरीर, मन और आत्मा के लिए शांतिपूर्ण और तनाव मुक्त जीवन के लिए शिक्षण पाठ्यक्रम का विशेष लॉन्च किया है। इस पाठ्यक्रम का नाम "अनन्त जीवन पद्धति" (शाश्वत जीवन विद्या) है। स्वामी जी "शाश्वत ज्योति" पत्रिका के संस्थापक और मुख्य संपादक भी हैं। 

सन 1893 में स्वामी विवेकानंद जी ने जिस विश्व धर्म संसद में भाग लिया था, सन 1999 में स्वामी उमाकांतानंद जी ने भी इसमें भाग लिया। यह विश्व धर्म संसद दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में हुआ था। 

स्वामी उमाकांतानंद जी का विचार और मत है कि संसार से आपसी बैर-भाव मिटे, इंसान-इंसान बनकर जी सके, लोग आपस में एक दूसरे का दर्द बाँट सके और धरती स्वर्ग जैसी हो। इसी प्रकार और विचार के साथ स्वामी जी आज भी लोगों को अपना मार्गदर्शन और ज्ञान की भांति उपदेश दे रहे है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Revealing Lies Staff RevealingLies is a news and current affairs website. We publish opinion articles, analysis of issues, news reports (curated from various sources as well as original reporting), and fact-check articles.